Thursday, January 19, 2017

सच अष्ठमी और चतुर्दशी का

सच अष्ठमी और चतुर्दशी का

।।जय जिनेन्द्र।।

जैन धर्म में हजारों सालो से बहुत सी तिथियों को बहुत ऊँचा माना जाता है और उन तिथियों में वनस्पति (लिलोत्री) नहीं खाया जाता और संभव हो जंहा तक उपवास ही किया जाता है और उन तिथियों में में दो तिथियां सबसे प्रमुख है वो है अष्ठमी और चतुर्दशी ।

आइये इनके पीछे के वजहों पे चर्चा कर उनके राज को कम करने की कोशिस करते है।

अष्ठमी और चतुर्दशी इन तिथियों को वायुमंडल में वायु तत्व की बहुत ज्यादा अधिकता रहती है और वायुमंडल की सभी चीजों में और खासकर खाने पीने की चीजो को वायु अपने प्रभाव में ले लेता है और वायु का ये बड़ा हुए प्रभाव शरीर में न प्रवेश कर जाये इसलिए वनस्पति न खाने की और उपवास करने की मान्यता बनी है क्योंकि बड़ी हुयी वायु से शरीर में 80 तरह के रोग उतपन्न होते है, इसके अलावा मानसिक परेशानिया, फितूर और मोह माया की जकड़न बहुत बढ़ जाती है और इन दोनों तिथियों में तंत्र - मन्त्र और टोने टोटको भी प्रभाव बहुत बढ़ भी जाते है और बहुत किये भी जाते है।

इन परेशानियों से बचने के लिए सीधे सीधे इन दोनों तिथियों को उपवास करना सबसे अच्छा है।

अष्ठमी और चतुर्दशी सिर्फ जैन धर्म में ही नहीं सनातन धर्म में भी महत्वपूर्ण स्थान रखते है शिव जी को मानाने वाले, शिव साधक और अघोरी समाज भी अष्ठमी और चतुर्दशी को उपवास रखते है और इन तिथियों को बड़े दिनों में शामिल किया गया ।

इन परेशानियों से और बीमारियों से दूर रखने के लिए ही शायद इसी मान्यता को बनाया गया था और जन कल्याण के लिए बड़ा कदम उठाया गया।

।।जय जिनेन्द्र।।

Saturday, September 3, 2016

नवकारसी और पौरसी

।।जय जिनेन्द्र।।

आज बात करते है नवकारसी और पौरसी करने के पीछे के विज्ञान के बारे में

नवकारसी सूर्य उदय के डेड घंटे बाद आती है और पौरसी सूर्य उदय के तीन घंटे बाद आती है और इसका सीधा सम्बन्ध सूर्य से है।

पाचन तंत्र और सूर्य का बहुत ही गहरा सम्बन्ध होता है सूर्य की गति के साथ साथ पाचन तंत्र की गति बढ़ती है,
और सूर्य उदय के समय सूर्य मंद रहता है और सूर्य के साथ साथ पाचन तंत्र भी मंद रहता है और जैसे जैसे सूर्य बढ़ता है वैसे वैसे पाचन तंत्र की क्रियासिलता भी बढ़ती है।

इसलिए जैन धर्म में कम से कम नवकारसी सब को करने की सलाह दी जाती है क्योंकि सूर्य उदय के समय पाचन तंत्र एकदम मंद पड़ा रहता है और उस समय कुछ भी खाने से बहुत देर तक वो सही ढंग से पचता नहीं जिसकी वजह से पेट से जुडी हुयी कई परेशानिया होने लगती है लंबे समय में

और पौरसी सूर्य उदय के तीन घंटे बाद आती है और उस समय सूर्य और पाचन तंत्र की स्थिति बहुत अच्छी हो जाती है फिर आप कुछ भी खाये तो कोई भी परेशानी नहीं होती है।

तीर्थंकर भगवान ने उन सब बातो को समझा, जाना फिर उसे धर्म नियम बना कर लागु कर दिया।

जैन धर्म सिर्फ कोरी बाते पे नहीं बल्कि बहुत ही सटीक वैज्ञानिक द्रष्टीकोण के साथ जैन धर्म को स्थापित किया गया।

।।जय जिनेन्द्र।।

Monday, August 29, 2016

जैन धर्म एक विज्ञानं

।।जय जिनेन्द्र।।

मित्रो,

इस ब्लॉगर में मैं जैन धर्म को और महावीर स्वामी के उपदेशो के वैज्ञानिक पहलु पे बात करूँगा,

जैन धर्म पूर्णतयः विज्ञानं (तत्व विज्ञानं) पे आधारित है और इसमें कही गयी हर बात और महावीर के सभी सन्देश विज्ञानं की मान्यताओ में खरा उतरते है,

बस जरुरत है विज्ञानं को या महावीर स्वामी के विज्ञानं को समझने की,

और मेरा दावा है जो भी इस विज्ञानं को समझ लेगा वो कभी भी जैन धर्म से विमुख नहीं होगा,

और मैं जैन धर्म के उसी विज्ञानं के बारे में बात करूँगा।

।।जय जिनेन्द्र।।